उसकी हथेली में मैंने
उम्मीद का बसेरा देखा है
उसकी ज़ुल्फ़ों में मैंने
सुकून का आँचल देखा है
उसकी चाल में मैंने
कयामत का बादल देखा है
उसकी मुस्कान में मैंने
वक़्त को ठहरते देखा है
उसकी रूह में मैंने
चिराग को जलते देखा है
तुम पूछते हो मुझसे कि
आखिर मैंने उस में क्या देखा है
ए नादान
मैंने उस में खुदा को देखा है।