घाटे का सौदा

हर सवेरे
मैं और
मेरे दोस्त
ऑफिस
के लिए
साथ ही
घर से
निकलते हैं
जहाँ मेट्रो
में लेडीज़
सीट की
तर्ज पर
मुझे अक्सर
बैठने का
मौका मिल
जाता है
घन्टे भर
के सफ़र
में जब
अपने दोस्तों
को यूँ ही
खड़े हुए
देखती हूँ
तो पल
भर के
लिए सोच
में पड़
जाती हूँ
कि कितना
लाभ का
सौदा है
लड़की
होना
उस पल
को गुज़रे
इतना ही
वक़्त होता
है कि
पाँच बार
पलक
झपका
सकती हूँ
जब
बगल में
बैठे एक
वयस्क पुरुष
की कोहनी
मेरे वक्ष को
सहलाती
मालूम
पड़ती है
सीधे
डपटना
उनकी
उम्र देख
उचित नहीं
लगता है
क्या पता
अनजाने में
भीड़ के
कारण
गलती से
लग गया हो
या
और ऐसे
विभिन्न कयास
लगाती हूँ
कि तब तक
स्टेशन आने
वाला होता है
यही शक़्स
पहले मेरा
मुख देखते हैं
और फ़िर
नज़रें नीचे
सरकाते हैं
फ़िर टेढ़ी
मुस्कान के
साथ द्वार
खुलते ही
खुद बाहर
निकल
जाते हैं
मेरे देखते
ही देखते
इंसानों की
उस भीड़ में
एक जानवर
लापता हो
जाता है
और मैं
फ़िर एक
बार सोच
में पड़
जाती हूँ
कि कहीं
लाभ का
नक़ाब
घाटे के
सौदे को
छिपाने के
लिए तो नहीं
हर रात
मैं और
मेरे दोस्त
घर के
लिए
साथ ही
ऑफिस से
निकलते हैं
जहाँ दस
बजे सीढ़ियां
उतरते हुए
लगता है
आज़ाद रहने
का मुझे तो
मौका मिल
जाता है
रोड पर
चलते वक़्त
जब अपने
दोस्तों को
अपनी ही
तरह चलते
देखती हूँ
तो पल
भर के
लिए सोच
में पड़
जाती हूँ
कि क्या
ही घाटा
है लड़की
होने के
सौदे में
उस पल
को गुज़रे
इतना ही
वक़्त होता
है कि
पाँच बार
पसीना
पोंछ
सकती हूँ
जब
बगल से
गुज़रते एक
मनचला
मेरे शरीर
को अपनी
नज़रों से
भेद जाता है
किसकी
इतनी ज़ुर्रत
होगी ये
जानने के
लिए पलटती हूँ
तो किसी
गाने के
भद्दे से
बोल कानों
में पड़
जाते हैं
और उसे
फटकार लगाऊँ
कि तब तक
वो बेशर्म
सी हंसी
हंसता है
और आगे
बढ़ जाता है
मेरे देखते
ही देखते
इंसानों की
उस भीड़ में
एक जानवर
और लापता
हो जाता है
और मैं
फ़िर एक
बार सोच
में पड़
जाती हूँ
कि कहीं
लाभ का
नक़ाब
घाटे के
सौदे को
छिपाने के
लिए तो नहीं
