जिस तरह तूने छुआ है मुझे
वैसे किसी और ने न छुआ
जितना इश्क़ तुझसे किया है
समझ लो उतना और किसी से न हुआ
कोशिशें भी लगातार की
और अरमानों को भी सिल दिया
कमरे से तेरी महक छिपा भी दूँ
पर इस दिल का मैं करूँ क्या?
जिस तरह तूने चाहा है मुझे
वैसे किसी और ने न चाहा
जितना दिल तूने सुलगाया है
समझ लो उतना और किसी ने न उमाहा
मन्नतें भी हज़ार की
और मिन्नतों को सिल दिया
लबों से तेरा नाम भुला भी दूँ
पर इस दिल का मैं करूँ क्या?
जिस तरह तूने जिया है मुझे
वैसे किसी और ने न जिया
जितना वक़्त तेरे आगोश में गुज़ारा है
समझ लो उतना और किसी संग न किया
ज़ुर्रतें भी लगातार की
और हया को भी सिल दिया
जिस्म गैर के हवाले कर भी दूँ
पर इस दिल का मैं करूँ क्या?
जिस तरह तूने छुआ है मुझे
वैसे किसी और ने न छुआ
जितना इश्क़ तुझसे किया है
समझ लो उतना और किसी से न हुआ