बेक़ाबू बचपन
या बेक़ाबू बचपने का
कसूर किसका है?
छोटी उम्र
या छोटी फ्रॉक का
कसूर किसका है?
बुरी नज़र
या बुरे हालात का
कसूर किसका है?
नाज़ुक शरीर
या नाज़ुक हृदय का
कसूर किसका है?
नादान आँखों
या नादान बातों का
कसूर किसका है?
बेक़ाबू बचपन की बात करने वालों
कसूर बेक़ाबू जज़्बातों का है।
छोटी उम्र की बात करने वालों
कसूर छोटी सोच का है।
बुरी नज़र की बात करने वालों
कसूर बुरे नज़रिये का है।
नाज़ुक शरीर और नादान आँखों को कसूरवार ठहराने वालों
कसूर तुम्हारा भी है।
Almost true.👌
I know right? Thank you for reading it. 🙂