क्या बताऊँ
कितनी बातें
रात के अंधेरे में
तकिये तले
दबा कर
सुबह होते ही
सिगरेट के धुंए
में उड़ा बैठी?
क्या बताऊँ
कितनी बातें
अनजान शख़्स
की गोद में सिर
रख कर
रात होते ही
उसके आलिंगन
में छिपा बैठी?
क्या बताऊँ
कितनी बातें
लंबी ड्राइव पर
किशोर के गीत
गुनगुना कर
शाम होते ही
मय के घूंट
में मिला बैठी?
क्या बताऊँ
कितनी बातें
जो तुम्हें थीं सुनानी
तुम्हारी ग़ैरमौजूदगी में
किस किस
को सुना बैठी?
क्या बताऊँ
कितनी रातें
जो तुम संग थी गुज़ारनी
तुम्हारी ग़ैरमौजूदगी में
किस किस
संग गुज़ार बैठी?
क्या बताऊँ
कितनी मोहब्बत
जो तुम पर थी लुटानी
तुम्हारी ग़ैरमौजूदगी में
किस किस
पर लुटा बैठी?