क्या ही बात होती

जिस नज़र से
उसे देखती हो
अगर उसी नज़र से
खुद को देख लेती
तो क्या ही बात होती
जिस आसानी से
उसे माफ़ कर देती हो
अगर उतनी आसानी से
खुद को माफ़ कर लेती
तो क्या ही बात होती
जितना भरोसा
उस पर करती हो
अगर उतना ही भरोसा
खुद पर कर लेती
तो क्या ही बात होती
जितना आज़ाद
उसे रहने देती हो
अगर उतनी आज़ादी
खुद के लिए लेती
तो क्या ही बात होती
जितनी लड़ाई
उसके लिए लड़ती हो
अगर उतनी लड़ाई
खुद के लिए लड़ लेती
तो क्या ही बात होती
जितनी मोहब्बत
उस से करती हो
अगर उतनी मोहब्बत
खुद से कर लेती
तो क्या ही बात होती
अपनी ज़िन्दगी
अपने लिए जी लेती
तो क्या ही बात होती
क्या ही बात होती।
उसे देखती हो
अगर उसी नज़र से
खुद को देख लेती
तो क्या ही बात होती
जिस आसानी से
उसे माफ़ कर देती हो
अगर उतनी आसानी से
खुद को माफ़ कर लेती
तो क्या ही बात होती
जितना भरोसा
उस पर करती हो
अगर उतना ही भरोसा
खुद पर कर लेती
तो क्या ही बात होती
जितना आज़ाद
उसे रहने देती हो
अगर उतनी आज़ादी
खुद के लिए लेती
तो क्या ही बात होती
जितनी लड़ाई
उसके लिए लड़ती हो
अगर उतनी लड़ाई
खुद के लिए लड़ लेती
तो क्या ही बात होती
जितनी मोहब्बत
उस से करती हो
अगर उतनी मोहब्बत
खुद से कर लेती
तो क्या ही बात होती
अपनी ज़िन्दगी
अपने लिए जी लेती
तो क्या ही बात होती
क्या ही बात होती।
