क्यों लिखती हूँ मैं?
शायद इस उम्मीद में
कि तन्हाई को अपनी
कोरे कागज़ का साथ दे सकूँ
गर मोहब्बत अधूरी रह गई
कमसकम कहानी का तो
एक नया अंजाम लिख सकूँ
क्यों लिखती हूँ मैं?
शायद इस उम्मीद में
कि आरज़ू को अपनी
इंतज़ार की सिरात दे सकूँ
गर मोहब्बत अधूरी रह गई
कमसकम कहानी का तो
एक नया अंजाम लिख सकूँ
क्यों लिखती हूँ मैं?
शायद इस उम्मीद में
कि एकाकीपन को अपने
स्मृति की काया में ढाल सकूँ
गर मोहब्बत अधूरी रह गई
कमसकम कहानी का तो
एक नया अंजाम लिख सकूँ
क्यों लिखती हूँ मैं?
शायद इस उम्मीद में
कि बंजारेपन को अपने
ठहरने की आदत डाल सकूँ
गर मोहब्बत अधूरी रह गई
कमसकम कहानी का तो
एक नया अंजाम लिख सकूँ
क्यों लिखती हूँ मैं?
शायद इस उम्मीद में
कि गफ़लत से अपनी
सीख की मक़ाल दे सकूँ
गर मोहब्बत अधूरी रह गई
कमसकम कहानी का तो
एक नया अंजाम लिख सकूँ
क्यों लिखती हूँ मैं?
शायद इस उम्मीद में
कि उत्कंठा को अपनी
क़लम का सुर-ताल दे सकूँ
गर मोहब्बत अधूरी रह गई
कमसकम कहानी का तो
एक नया अंजाम लिख सकूँ
क्यों लिखती हूँ मैं?
शायद इस उम्मीद में
कि बिखरे छन्दों को अपने
नज़्म के धागे में सँवार सकूँ
गर मोहब्बत अधूरी रह गई
कमसकम कहानी का तो
एक नया अंजाम लिख सकूँ
क्यों लिखती हूँ मैं?
शायद इस उम्मीद में
कि बेक़ैद विचारों को अपने
समाज के आईने में उतार सकूँ
गर मोहब्बत अधूरी रह गई
कमसकम कहानी का तो
एक नया अंजाम लिख सकूँ
क्यों लिखती हूँ मैं?
शायद इस उम्मीद में
कि बुझती लौ को अपनी
क्रोध की मशाल बना सकूँ
गर मोहब्बत अधूरी रह गई
कमसकम कहानी का तो
एक नया अंजाम लिख सकूँ
क्यों लिखती हूँ मैं?
शायद इस उम्मीद में
कि ज़िंदगी को अपनी
एक मिसाल बना सकूँ
गर मोहब्बत अधूरी रह गई
कमसकम कहानी का तो
एक नया अंजाम लिख सकूँ
Long time supporter, and thought I’d drop a comment.
Your wordpress site is very sleek – hope you
don’t mind me asking what theme you’re using? (and don’t
mind if I steal it? :P)
Keep up the good work– and hope you all take care of yourself
during the coronavirus scare!