सामान लौटाने आए हैं

जाओ, जा कर कह दो उनसे
कि उनका सामान लौटाने आए हैं
शर्म हया की जिस चादर से ढखा था हमें
उस चादर से उनकी नज़रें ढकने आए हैं
जाओ, जा कर कह दो उनसे
कि उनका सामान लौटाने आए हैं
लड़की होने के ज़ुर्म में जिन बेड़ियों से बांधा था हमें
उन बेड़ियों की चाबी ढूंढ लाए हैं
जाओ, जा कर कह दो उनसे
कि उनका सामान लौटाने आए हैं
हमारे ख़्वाबों के जिस बादल को कैद में रखा था
आज उन पर बरसाने आए हैं।
जाओ, जा कर कह दो उनसे
कि उनका सामान लौटाने आए हैं
बेरुख़ी में डुबोकर जिन तानों से भेदा था हमें
आज उन पर ही शब्दों के तीर चलाने आए हैं
जाओ, जा कर कह दो उनसे
कि उनका सामान लौटाने आए हैं
अपनी अपेक्षाओं का जामा जो हमें पहनाया था
उसी का चोला उतारने आए हैं
जाओ, जा कर कह दो उनसे
कि उनका सामान लौटाने आए हैं
हमारी ज़िन्दगी जिनकी मुठ्ठी में थी
उनकी हथेली उन्हें खाली सौंपने आए हैं
समाज के उन चार लोगों से कह दो कि
उनका सामान लौटाने आए हैं
और बदले में अपनी आज़ादी लेने आए हैं।
