वक़्त कितना जल्दी बीत गया जिसकी डाँट से डर लगता था अब उसकी चुप्पी से घबरा जाती हूँ देख न माँ तुझसे दूर रहकर भी मैं तुझे ख़यालों में करीब पाती हूँ
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देख न माँ
वक़्त कितना जल्दी बीत गया जिसकी डाँट से डर लगता था अब उसकी चुप्पी से घबरा जाती हूँ देख न माँ तुझसे दूर रहकर भी मैं तुझे ख़यालों में करीब पाती हूँ