तो क्या ?

अंधेरा जो रात होते ही पसर गया
तो क्या ?
सवेरा है, कल फ़िर रोशन हो जाएगा
सूरज जो सांझ होते ही ढल गया
तो क्या ?
किरणों में, कल फ़िर उदय हो जाएगा
सावन जो बादलों में कैद हो गया
तो क्या ?
बूंदों में, कल फ़िर बरस जाएगा
मौसम जो आज गर्मी में तप गया
तो क्या ?
झोंकों में, कल फ़िर ठंडा हो जाएगा
गम जो दिल का नासूर हो गया
तो क्या ?
अश्कों में, कल फ़िर छलक जाएगा
इश्क़ जो तेरा आज अधूरा रह गया
तो क्या ?
शायरी में, कल फ़िर पूरा हो जाएगा
