वो ज़माना और था
जब इंसान
पत्थरों का घर
बनाता था
ये ज़माना और है
जब इंसान
पत्थर का खुद
बन जाता है
वो ज़माना और था
जब इंसान
मौत से
अपनी जान
बचाता था
ये ज़माना और है
जब इंसान
कशों में
मौत को गले
लगाता है
वो ज़माना और था
जब इंसान
इंसान से नहीं
जानवरों से
घबराता था
ये ज़माना और है
जब इंसान ही
इंसान को
सताता है।